Sunday, May 9, 2010

मत बाटो मुझे दो टुकडो मे
जहा मै मै न रह पाऊ
मत बांधो मुझे ऐसे रिश्ते मे
जिसे मे चाहकर भी निभा न पाऊ
शारीर का आत्मा से एक रिश्ता है
दोनों एक दुसरे से जुदा
तो कुछ भी नहीं है
विवश न करो मुझे
एक ऐसी जिंदगी जीने के लिये
जहा मे सब कुछ पाकर भी है
सब कुछ खो दु
मत टुकड़े करो मेरे
जहा मै न तुम्हारी ही रह सकू
न बन सकू किसी और की
जी करता है तोड़ दू उस वचन को
जिसने मुझे बांध रखा है
जिस वचन को दे कर
तुम मुक्त हो
हर एक बंधन से
मुक्त हो तुम ,
जज्बातों के उठने वाले उस भवर से
मुक्त हो तुम
हर उस रिश्ते से जिसे तुम निभाना नहीं चाहते
मुक्त हो तुम
मुझे अपनी मजबूरियों के हवाले कर
मुक्त हो तुम
मुझे वचनों के बंधन में बांध कर
मुझे दो नाव में सवार कर
तुम खुश हो अपने जीवन में

मुझ से मेरे जिंदगी छीन कर

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