Sunday, December 6, 2009

yadeein

यादो की एक धूमिल कहानी
जो हँसाती और रुलाती है
ये एक कड़ी ऐसी है
जिसमे प्यार की एक कस्ती है
न आर है न पार है
बीच भवर मे फसी जिंदगी की नाव है
उठती जज्बातों के लहरों का तूफान ऐसे
आती है कभी कभी दरिया में तुफ्फान जैसे
ये सफर भी अजनबी बना
जिसपे चलना बहुत मुसकिल हुआ
माझी की बाते याद आने लगी
पन्ने दरपन्ने उसे पढ़ा जाने लगा हो जैसे
मंजिल मेरी हो गई है दूर मुझसे
हकीकत की आख मिचोनी में
उन यादो से जिनमे कुछ हमने फूल उठाये थे
वही यादें चुभाने लगी कांटे जिंदगी में .

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