Monday, March 15, 2010

आज भी मेरे आखों मे


वो दिन ठहरे हुए से है


जब मुझे छोड़ कर तुम


यु हँस रहे थे


अकेले तन्हाई के हवाले कर


मेरी खुशिया अपने साथ ले कर


मुझे छोड़ चले गए थे


उस दिन मेरे आखों मे


मैंने दर्द छुपा कर तुमसे


एक और विदाई मागी थी


अकेले तनहा रोने का नाता जोड़


तुझसे दूर रहने की विदाई मागी थि


वो जिस दिन जाना था तुम्हे


तब कोशिश की थी कई बार


गिरे आखों से आसू


उस मे भी आसफल हो



कर कूद को कोष रही थि


मुस्कुरा रहे थे तुम सब के साथ


देख कर मुझे अनदेखा कर रहे थे


और मेरी आखे दिल मे छुपी


दर्द बयां कर रही थी


एक पल लगा मुझे तुम्हारी नजरे दुंद रही हो मुझे


फिर मुस्कुराई थी खुद के पागलपन पे


तुम्हे युही कितने देर तक dek रह जाना


और उन पालो मे कूद के आसू को रोक पाना


मुस्किल था बहुत मेरे लिये


वो जुदाई का पल मेरे लिये देख पाना सम्बह्वा था


मे वह से कुछ दूर बठी


तुझे विदा कर रही थि


वो पल रुक सा गया था मेरे लिये


हर कोई तुझे विदा कर रहा था


मेरे लिये वो पल बहुत कठिन था


दिल करता था तुझे एक बार फिर देलू


फिर तुझ से मुलाकात हो या हो


पर कदम आगे बढ़ रहे थे पीछे


तुम चले गए मे देखती रह गई तुम्हे


फिर एक झूटी आस लगाये बैठ हु


आओगे फिर एक बार इस इंतजार मई




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